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कुंभ राशि में गु,गे, गो, स, सा, सी, सु, से, सं, सो,सौ, द,दा अक्षर
आते हैं | कुंभ राशि का स्वामी शनि हैं | इस राश के लोग अपने कार्य बिना किसी के मदद
के करना चाहते हैं | गुस्सा रहता हैं | पर जल्दी ही शांत हो जाता हैं | कुंभ राशि का
स्वामी शनि है इसी कारण शुभ वार शनिवार होता हैं | शनि देव के राशि स्वामी होने से
भाग्याशाली रंग काला और गहरा नीला होता हैं | शुभ दिन शनिवार होता हैं | कुंभ राशिवालों
को नीलम रत्न शनिवार के दिन सोने में पहनना चाहिये पर यदि शनि खराब रहे तो पहनना होता
हैं | शुभ अंक ४ होता हैं | शनि ग्रह का मुख्य रत्न हैं|
नीलम
इसको धारण करने से पहले इसकी परिक्षा करनी अत्यंत आवश्कय हैं | यह अपना प्रभाव अति
शीघ् दिखाता हैं अतः २ - ३ दिन इसको अपने दाहीने भुजा में बांधकर रखना चाहीये | यदि
अशुभ फल का आभस दे तो इस तुरंत त्याग देना चाहीये | असली नीलम चमकीला, चिकना मोरपंख
के समान वर्ण वाला नीली रश्मियों से युक्त, पारदर्शी होता हैं | असली नीलम को गाय के
दूध में डाला जाये तो दूध का रंग नीला दिखाई देता हैं| सूर्य की किरणों में रखने पर
नीले रंग की किरणें निकलती दिखाई देगी | नीलम धारण करने से धन, धान्य, यश, किर्ती,
बुद्धि, चातुर्य और वंश की वृद्धी होती हैं | नीलम शनि की साढे सती का निवारण करता
हैं | शनिवार को नीले पूष्प , ३ उत्तरा ,चित्रा, स्वाती, धनिष्ठा, शतभिषा, नक्षत्रों
में लोहे या स्वर्ण की अंगुठी में मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहीये | शनि के मंत्रो
से अभिमंत्रित करने से पहले काला धान्य, काला वस्त्र, तथा लोहे का दान करना श्रेयस्कर
हैं |
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मीन राशि के अंतर्गत दि.दू, झं, थ, था, दे, दो, च, चा, ची आते हैं
| मीन का राशि स्वामी गुरु होता हैं | ये ठंड़े दिमाग , मेहनती मेल मिलाप रखनेवालें
दुसरों की मदद करने को उत्साहीत होते हैं | गुरुवार मीन राशि का शुभ दिन होता हैं |
३ ,७ अंक इनका काफी शुभ माना गया हैं | गुरु के कारण ही इनको पीला रंग शुभ रहता है
| भाग्याशाली रत्न पुखराज होता हैं | पुखराज को गुरुवार के दिन सोने या तांबे में पहनना
चाहीये | पीला रंग शुभ माना गया हैं |
पुखराज
पुखराज पीले रंग का होता हैं | इसे गुरुवार को १९ बार ॐ वृं वृहस्पतयःनम मंत्र बोलकर
सोने या तांबे की अंगुठी में पहनना चाहिये | इसको पहनने से वंशवृद्धी होते हुये देख
सकते हैं | ये रत्न, धन ,दौलत ,प्रसिद्धी ,सफलता, दिर्घआयु , राजकार्य में सफलता देता
हैं | ये चिकना चमकवाला , कांतिवाला , निंबू के रंगवाला, केसर या हल्दी के रंग के समान
होता हैं | पुखराज की विशेषता ये हैं कि कसौती पर घिसने पर ये और चमकता हैं | उच्च
कोटी के पुखराज को मंत्र के साथ स्वर्ण अंगुठी में पुष्य पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वभाद्रपद
नक्षत्रों में तर्जनी उंगली में पहनना चाहीये | पीत वस्त्र ,पीला धान्य, स्वर्ण का
दान देना चाहीये | जिस कन्या के विवाह में बाधा पड रही हैं, उसे शीघ् उचित वर मिलता
हैं | घर का क्लेश दूर होता हैं और पति पत्नी का प्रेम परस्पर बढता हैं | मीन, धनू,
वृश्चिक, कर्क, मेष राशी को पुखराज फलदायी होता हैं
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मेष राशि से च, चू, चे. ला, ली, लू, ले, लो, अ, आ , अक्षर पर नाम
निकालते हैं | मेष का स्वामी मंगल माना जाता हैं | इस राशी वालो को लाल और सफेद रंग
शुभ माने जाते हैं | इस राशी का शुभ रत्न मूंगा होता हैं | और मेष राशि के लिये मंगलवार
और रविवार शुभ रहते हैं | इनका शुभ अंक ९ होता हैं | अतः मेष राशि के लिये ये सब बातें
ध्यान रखने योग्य हैं |
मूंगा
मंगल ग्रह का यह रत्न अधिकांश लाल, सिंदूरी, हिंगुली रंग, या गेरुँआ वर्ण का होता हैं
| असल मूंगा गोल, चिकना, कांतीयुक्त तथा भारी होता हैं | असली मूंगा की पहचान के लिये
उसे दूध में डाला जाये तो दूध में लालिमा दिखाई देने लगते हैं | खन्डित, छिद्रयुक्त,
सफेद या कालेधब्बेवाले दूषित मूंगा को पहनने से लाभ की जगह हानि होने की संभावना रहती
हैं | उच्चकोटी का मूंगा मंगलवार को मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा आदि नक्षत्रों में स्वर्ण
या तांबे की अंगुठी बनवाकर , मंगल के मंत्रों से अभिमंत्रित करके अनामिका अंगुली में
धारण करना चाहिये | श्रेष्ठ मूंगा धारण करने से भूत प्रेत बाधा से मुक्ती मिलती हैं
| भूमिसुख, भातृसुख मिलता हैं | अल्परक्तचाप वालों को परम उपयोगी हैं | स्त्रियों को
सौभाग्य देने वाला हैं | मूंगा के साथ नीलम , गोमेद, लहसुनियाँ नहीं पहनना चाहियें
| जिन जातक के ६, ८, १२ वें स्थान में मंगल हो ऐसे जातक को भी मूंगा धारण नहीं करना
चाहीयें | मेष, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ, मीन राशीवालों को मूंगा लाभदायक
रहता हैं|
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वृषभ राशि से ई, उ,ए, ऐ, ओ, व, वा, वो, वे, वौ,वं से नाम निकालते
हैं | वृषभ का राशि स्वामी शुक्र हैं | इस राशिवालों को शुक्रवार, बुधवार,शुभ दिन होते
हैं | इसका भाग्यशाली रंग नीला सफेद होता हैं | वृषभ का शुभ रत्न हिरा होता हैं | हीरे
को शुक्रवार को ही पहने | शुभ अंक ६ होता हैं | इसके जातक बहुत मेहनती होते हैं | ये
आयुष्मान होते हैं |
हीरा
अत्यंत श्वेत कठोर चमकीला किरणों से युक्त शुक्र का रत्न माना गया हैं | असली हीरे
को अगर पिघले घी में डाला जायें तो घी तुरंत जम जायेगा | असली हीरे के नीचे अंगुली
रखने पर दिखाई नहीं देगी | कांतीहीन ,रेखओंयुक्त, गड्डेदार खंडित हीरा दुषित माना गया
हैं | अच्छे हीरे को शुक्लपक्ष के शुक्रवार को भरणी, पुष्य, पुर्वाफाल्गुनी, पुर्वाषाढा
नक्षत्रों में शुक्रग्रह जब वृष, तुला या मीन राशी में हो तब शुक्र के मंत्रों अभिमंत्रित
करके चांदी या प्लेटिनम में बनवाकर मध्यमा उंगली में धारण करें | तथा श्वेत धान्य ,
सफेद वस्त्र , पु्ष्प, चांदी व चंदन का दान करना चाहिये | हीरा धारण करने से लक्ष्मी
प्राप्ती, विवाह सुख, वाहनसुख मिलता हैं | हीरे में वशीकरण की अद्भुत शक्ती होती हैं
| वृष, मिथुन, कन्या, तुला ,मकर और कुंभ राशीवालों को हीरा शुभफलदायक हैं |
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मिथुन राशि अक्षर क, का,की, कू, के, को, कौ, छ,ह,हा, छा से शुरु होते
हैं | मिथुन राशि का स्वामी बुध होता हैं चूकी बूध बुद्धी का कारक होता हैं अतः इस
राशि के जातक ज्यादातर बुद्धिमत्ता में प्रमुख होते हैं | मिथुन राशि का शुभदायक रत्न
मुंगा हैं | मिथुन राशि का फलदायक रंग हरा होता हैं | शुभ अंक ५ हैं|
मूंगा
मंगल ग्रह का यह रत्न अधिकांश लाल, सिंदूरी, हिंगुली रंग, या गेरुँआ वर्ण का होता हैं
| असल मूंगा गोल, चिकना, कांतीयुक्त तथा भारी होता हैं | असली मूंगा की पहचान के लिये
उसे दूध में डाला जाये तो दूध में लालिमा दिखाई देने लगते हैं | खन्डित, छिद्रयुक्त,
सफेद या कालेधब्बेवाले दूषित मूंगा को पहनने से लाभ की जगह हानि होने की संभावना रहती
हैं | उच्चकोटी का मूंगा मंगलवार को मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा आदि नक्षत्रों में स्वर्ण
या तांबे की अंगुठी बनवाकर , मंगल के मंत्रों से अभिमंत्रित करके अनामिका अंगुली में
धारण करना चाहिये | श्रेष्ठ मूंगा धारण करने से भूत प्रेत बाधा से मुक्ती मिलती हैं
| भूमिसुख, भातृसुख मिलता हैं | अल्परक्तचाप वालों को परम उपयोगी हैं | स्त्रियों को
सौभाग्य देने वाला हैं | मूंगा के साथ नीलम , गोमेद, लहसुनियाँ नहीं पहनना चाहियें
| जिन जातक के ६, ८, १२ वें स्थान में मंगल हो ऐसे जातक को भी मूंगा धारण नहीं करना
चाहीयें | मेष, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ, मीन राशीवालों को मूंगा लाभदायक
रहता हैं
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कर्क में हि, हू, हे,हो, डा,डी, डू ड़, डे, डो आते हैं | इस राशि का
स्वामी चंद्रमा हैं | कर्क राशि के लोग ज्यादातर व्यवसाय में रहते हैं | खुद पर ध्यान
ना देने पर ज्यादातर ये लोग अस्वस्थ रहते हैं | भाग्यशाली दिन सोमवार तथा बुधवार होता
हैं | और रत्न मोती होता हैं | मोती को सोमवार के दिन चांदी के साथ पहनना चाहीये| कर्क
राशि के लिये सफेद रंग होता हैं |
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सिंह राशि में म,मा,मी ,मू,मे,मो,मौ,मं,ट,टा टी़,टू, टो होते हैं
| इसका स्वामी सूर्य हैं | इस राशि के लोग किसी के सामने झुकना नहीं पसंद नहीं करते
हैं | इसका भाग्यशाली दिन रविवार होता हैं | शुभ रंग लाल होता हैं | शुभ अंक ४ होता
हैं | सिंह राशि का शुभ रत्न माणक होता हैं | सिंह राशि के जातक को रविवार के दिन सोने
में माणक पहनना चाहिये |
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कन्या राशि में पा,प,पु,पं,प,पे,पो,पौ,टो आते हैं | कन्या राशि के
स्वामी बुध हैं | इसके लिये इसके जातक धार्मिक होते हैं | उनकी ईश्वर में बहुत निष्ठा
होति हैं | मंगलवार को कन्या राशिवालों को कोई नया कार्य का आरंभ नहीं करना चाहिये
| क्योकि उस में कन्या राशि के लिये मंगलवार अत्याधिक शुभकारी नहीं होती हैं | उनके
लिये विषेश शुभ दिन बुधवार होता हैं | हरा रंग इनके लिये शुभकारी होता हैं | कन्या
राशि का फलदायक रत्न माणक हैं | इस रत्न को सोने में पहनने से कन्या राशिवालों की तकलीफो
में कुछ हद तक कमी आ सकती हैं | कन्या राशि का शुभ अंक ५ होता हैं | इन सब बातों को
ध्यान में रख के कार्य किया जाये तो जरुर लाभ होगा |
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तुला राशि के अंतर्गत र, रा, री,रु,रे,रो,रं,ता, त, तू, ते, तो, ती
आते हैं | तुला राशि का स्वामी शुक्र हैं | इस राशि के लोग काफी सरल स्वभाव के होते
हैं | जितना मिले उतने में ही जीवन व्यापन करते हैं | अपने कारण किसी को कष्ट नहीं
देना चाहते | इनके लिये शुक्रवार ही शुभ होता हैं | सफेद और आसमानी रंग इनके लिये शुभ
होता हैं | तुला के लिये हीरा ज्यादा शुभ रहता हैं | ६ अंक ज्यादा शुभ रहता हैं | हीरे
को चांदी मे पहनने लाभदायक परिणाम देखने मिलेंगे |
हीरा
अत्यंत श्वेत कठोर चमकीला किरणों से युक्त शुक्र का रत्न माना गया हैं | असली हीरे
को अगर पिघले घी में डाला जायें तो घी तुरंत जम जायेगा | असली हीरे के नीचे अंगुली
रखने पर दिखाई नहीं देगी | कांतीहीन ,रेखओंयुक्त, गड्डेदार खंडित हीरा दुषित माना गया
हैं | अच्छे हीरे को शुक्लपक्ष के शुक्रवार को भरणी, पुष्य, पुर्वाफाल्गुनी, पुर्वाषाढा
नक्षत्रों में शुक्रग्रह जब वृष, तुला या मीन राशी में हो तब शुक्र के मंत्रों अभिमंत्रित
करके चांदी या प्लेटिनम में बनवाकर मध्यमा उंगली में धारण करें | तथा श्वेत धान्य,
सफेद वस्त्र , पु्ष्प, चांदी व चंदन का दान करना चाहिये | हीरा धारण करने से लक्ष्मी
प्राप्ती, विवाह सुख, वाहनसुख मिलता हैं | हीरे में वशीकरण की अद्भुत शक्ती होती हैं
| वृष, मिथुन, कन्या, तुला,मकर और कुंभ राशीवालों को हीरा शुभफलदायक हैं |
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वृश्चिक राशि के अंतर्गत न,ना,नी, नु,ने,नो.नै, नं, या, यी, यू, य
अक्षर आते हैं | वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल हैं | इस राशि के लोगो को किसी के मामले
में दखल नहीं देते और ना अपनी निजी जिंदगी में किसी की दखलदांजी पसंद करते हैं | मंगल
स्वामी के होने से मंगलवार वृश्चिक राशि का शुभ दिन हैं | और रविवार का दिन भी बहुत
शुभ होता हैं | अंक ९ इस राशि के लिये बहुत शुभकारी हैं | मूंगा इस राशि का फलदायक
रत्न होता हैं | इसे सोने या तांबे के साथ पहनते हैं | लाल रंग ज्यादातर शुभ रहता हैं
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मूंगा
मंगल ग्रह का यह रत्न अधिकांश लाल, सिंदूरी, हिंगुली रंग, या गेरुँआ वर्ण का होता हैं
| असल मूंगा गोल, चिकना ,कांतीयुक्त तथा भारी होता हैं | असली मूंगा की पहचान के लिये
उसे दूध में डाला जाये तो दूध में लालिमा दिखाई देने लगते हैं | खन्डित, छिद्रयुक्त,
सफेद या कालेधब्बेवाले दूषित मूंगा को पहनने से लाभ की जगह हानि होने की संभावना रहती
हैं | उच्चकोटी का मूंगा मंगलवार को मृगशिरा, चित्रा, धनिष्ठा आदि नक्षत्रों में स्वर्ण
या तांबे की अंगुठी बनवाकर , मंगल के मंत्रों से अभिमंत्रित करके अनामिका अंगुली में
धारण करना चाहिये | श्रेष्ठ मूंगा धारण करने से भूत प्रेत बाधा से मुक्ती मिलती हैं
| भूमि सुख, भातृसुखमिलता हैं| अल्परक्तचाप वालों को परम उपयोगी हैं | स्त्रियों को
सौभाग्य देने वाला हैं | मूंगा के साथ नीलम , गोमेद, लहसुनियाँ नहीं पहनना चाहियें
| जिन जातक के ६, ८, १२ वें स्थान में मंगल हो ऐसे जातक को भी मूंगा धारण नहीं करना
चाहीयें | मेष, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ, मीन राशीवालों को मूंगा लाभदायक
रहता हैं |
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धनु राशि में ये, यो, ध, धा, धी, धू, धे, फ, भा, भी, भू, भे आते हैं
| धनु का स्वामी गुरु को माना जाता हैं | गुरु के कारण ही अपने हर कार्य को निष्ठापूर्ण
निभाते हैं | गुरुवार धनु राशि का शुभ दिन होता हैं | ३ अंक इनका काफी शुभ माना गाया
हैं | गुरु के कारण ही इनको पीला रंग शुभ रहता है | भाग्याशाली रत्न पुखराज होता हैं
| पुखराज को गुरुवार के दिन सोने या तांबे में पहनना चाहीये|
पुखराज
पुखराज पीले रंग का होता हैं| इसे गुरुवार को १९ बार ॐ वृं वृहस्पतयःनम मंत्र बोलकर
सोने या तांबे की अंगुठी में पहनना चाहिये | इसको पहनने से वंशवृद्धी होते हुये देख
सकते हैं| ये रत्न, धन ,दौलत ,प्रसिद्धी ,सफलता, दिर्घआयु , राजकार्य में सफलता देता
हैं | ये चिकना चमकवाला , कांतिवाला, निंबू के रंगवाला, केसर या हल्दी के रंग के समान
होता हैं | पुखराज की विशेषता ये हैं कि कसौती पर घिसने पर ये और चमकता हैं | उच्च
कोटी के पुखराज को मंत्र के साथ स्वर्ण अंगुठी में पुष्य पुनर्वसु, विशाखा, पूर्वभाद्रपद
नक्षत्रों में तर्जनी उंगली में पहनना चाहीये | पीत वस्त्र ,पीला धान्य, स्वर्ण का
दान देना चाहीये | जिस कन्या के विवाह में बाधा पड रही हैं, उसे शीघ् उचित वर मिलता
हैं | घर का क्लेश दूर होता हैं और पति पत्नी का प्रेम परस्पर बढता हैं | मीन, धनू,
वृश्चिक, कर्क, मेष राशी को पुखराज फलदायी होता हैं |
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मकर राशि के लोगो के नाम भो.ज,जा,जी,जे, जो, जै, जं, ख, खी, खू, खो, ग, गा,गी
से आते हैं | मकर राशि का स्वामी शनि होता है | मकर राशि के लोग ईमानदारीप्रिय होते
है | अपने दिल में कोई बात नहीं रखते जो भी कहना हो पीठ पिछे ना कह के सामने कहते हैं
| भाग्यशाली अंक ४ हैं | शनि देव के राशि स्वामी होने से भाग्याशाली रंग काला और गहरा
नीला होता हैं | शुभ दिन शनिवार होता हैं | मकर राशिवालों को नीलम रत्न शनिवार के दिन
सोने में पहनना चाहिये पर यदि शनि खराब रहे तो पहनना होता हैं |
शनि
नीलम शनि ग्रह का मुख्य रत्न हैं | इसको धारण करने से पहले इसकी परिक्षा करनी अत्यंत
आवश्कय हैं | यह अपना प्रभाव अति शीघ् दिखाता हैं अतः २...३ दिन इसको अपने दाहीने भुजा
में बांधकर रखना चाहीये | यदि अशुभ फल का आभस दे तो इस तुरंत त्याग देना चाहीये | असली
नीलम चमकीला, चिकना मोरपंख के समान वर्ण वाला नीली रश्मियों से युक्त, पारदर्शी होता
हैं | असली नीलम को गाय के दूध में डाला जाये तो दूध का रंग नीला दिखाई देता हैं |
सूर्य की किरणों में रखने पर नीले रंग की किरणें निकलती दिखाई देगी | नीलम धारण करने
से धन, धान्य, यश, किर्ती, बुद्धि, चातुर्य और वंश की वृद्धी होती हैं | नीलम शनि की
साढे सती का निवारण करता हैं | शनिवार को नीले पूष्प , ३ उत्तरा ,चित्रा, स्वाती, धनिष्ठा,
शतभिषा, नक्षत्रों में लोहे या स्वर्ण की अंगुठी में मध्यमा अंगुली में धारण करना चाहीये
| शनि के मंत्रो से अभिमंत्रित करने से पहले काला धान्य, काला वस्त्र, तथा लोहे का
दान करना श्रेयस्कर हैं |
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